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agriculture technology: सरसों के फसल एक बार लगाएं 1 सें 2 लाख रूपये प्रतिमाह कमाएं, इस फसल की मांग हर घर में हो रही है।

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जैसा कि आप जानते हैं कि देश में खरीफ फसलों की कटाई का समय समाप्त हो गया है और अब रबी फसलों की बुवाई का समय शुरू हो गया है। सरसों की किस्म पूसा 28 किसान भाइयों को कम समय में अच्छी उपज देती है।
ऐसे में किसान रबी सीजन में ऐसी फसलें अपने खेतों में लगाना पसंद करते हैं, जिससे उन्हें दोगुना मुनाफा हो सके।इसके लिए किसान भाइयों के लिए सरसों की खेती फायदेमंद साबित हो सकती है।बता दें कि रबी सीजन में सरसों को प्रमुख नकदी फसल के रूप में जाना जाता है।भारत में सरसों की खेती ज्यादातर फसल से तेल निकालने के लिए की जाती है। agriculture technology

सरसो कि खेती कैसे करें इसकी सभी जानकारी के लिए यहां क्लिंक करें

सरसों की खेती की बुवाई कैसे करें इसकी जानकारी के लिए यहां क्लिक करें

सरसों की बाजार में सबसे ज्यादा डिमांड है।

इसलिए बेहतर किस्म की सरसों की बुआई कर किसान अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं।
किसानों के लाभ के लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बीजों की कई नई किस्में विकसित की गई हैं।
सरसों की इन नई किस्मों में से एक उन्नत सरसों की किस्म पूसा सरसों-28 है, जो कम समय में किसानों को अच्छी उपज देती है। agriculture technology

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सरसों की उन्नत किसमे पूसा 28

  • इस किस्म की सरसों से किसान अच्छी फसल प्राप्त कर सकते हैं।
  • यह किस्म बुवाई के 105 से 110 दिनों के भीतर सबसे अच्छी तरह पक जाती है।
  • यह देखा जा सकता है कि पूसा की 28 किस्मों के बीजों से उपज 1750 से 1990 किलोग्राम तक होती है।
  • इस किस्म से न केवल तेल बल्कि पशुओं का चारा भी तैयार किया जाता है।
  • इसके अलावा इसके बीजों में 21 प्रतिशत तक तेल की मात्रा पाई जाती है।
  • हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के किसानों के लिए पूसा सरसों 28 किसी वरदान से कम नहीं है। agriculture technology

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इन राज्यों की मिट्टी और जलवायु इसकी खेती के लिए उपयुक्त है।

बैटन में केठी के समय ध्यान क्यों रखें

  • रबी मौसम में सरसों की खेती के लिए 5 अक्टूबर से 25 अक्टूबर उपयुक्त माना जाता है।
  • सरसों की खेती से अधिक उपज प्राप्त करने के लिए किसान को स्प्रिंकलर विधि या फिर कथार विधि का प्रयोग करना चाहिए।
  • ऐसा करने से फसल की निगरानी करना आसान हो जाता है और निराई करना भी आसान हो जाता है।
  • किसान चाहें तो इसके लिए देसी हल या सीड ड्रिल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • बुवाई के समय इस बात का ध्यान रखें कि बीज रेखाओं के बीच 30 सेमी और पौधों के बीच 10-12 सेमी की दूरी हो।
  • जैविक विधि का प्रयोग करने से किसानों को इस प्रकार से दुगना लाभ प्राप्त होगा।
  • इसके अलावा किसानों को बीजों के बेहतर अंकुरण के लिए 2 से 3 सेमी की दूरी भी रखनी चाहिए।
  • सरसों की खेती से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए किसान किसी भी कृषि वैज्ञानिक से संपर्क कर सकते हैं। agriculture technology

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