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महिला स्वयं सहायता समूह योजना (Self Help Group – SHG)

भारत के ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई स्वनियोजित महिला योजना या महिला स्वयं सहायता समूह योजना (Self Help Group – SHG) आज महिलाओं के जीवन में परिवर्तन लाने का एक प्रभावी माध्यम बन चुकी है। इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को समूह बनाकर स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जाता है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें।

यह योजना न केवल आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में कदम है, बल्कि महिलाओं को समाज में प्रतिष्ठा, नेतृत्व क्षमता और निर्णय लेने का अधिकार भी देती है। आइए, इस लेख में विस्तार से जानते हैं इस योजना के बारे में।

🔷 महिला स्वयं सहायता समूह (SHG) क्या है?

स्वयं सहायता समूह (Self Help Group – SHG) 10-20 महिलाओं का एक स्वैच्छिक समूह होता है जो मिलकर छोटे पैमाने पर बचत करता है और इस बचत का उपयोग छोटे-मोटे व्यवसाय या आपातकालीन जरूरतों के लिए आपस में ऋण देने के लिए करता है।

समूह के सदस्य हर महीने एक निश्चित राशि समूह में जमा करते हैं और एक सामूहिक निर्णय से जरूरतमंद सदस्य को यह राशि ऋण के रूप में दी जाती है। सरकार इस प्रणाली को और प्रभावी बनाने के लिए SHG को बैंकों से कर्ज दिलवाने, प्रशिक्षण देने और बाजार उपलब्ध कराने का कार्य करती है।

🔷 स्वनियोजित महिला योजना का उद्देश्य

  • ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना
  • महिलाओं को स्वरोजगार और लघु उद्योगों के लिए प्रेरित करना
  • महिला नेतृत्व और सामूहिक निर्णय शक्ति को बढ़ावा देना
  • घरेलू आय में वृद्धि करना
  • गरीबी उन्मूलन में मदद करना

🔷 महत्वपूर्ण विशेषताएं

  1. बचत की आदत: महिलाएं नियमित बचत करती हैं जिससे आर्थिक अनुशासन आता है।
  2. माइक्रो क्रेडिट सुविधा: समूह के अंदर से लोन लिया जा सकता है और सरकार भी बैंक लिंकेज के ज़रिए कर्ज उपलब्ध कराती है।
  3. व्यवसाय के अवसर: अचार, पापड़, अगरबत्ती, सिलाई, डेयरी, बकरी पालन जैसे छोटे व्यवसाय शुरू किए जाते हैं।
  4. प्रशिक्षण सुविधा: महिलाओं को व्यवसाय चलाने, लेखा जोखा रखने, विपणन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जाता है।
  5. सरकारी सहायता: विभिन्न योजनाओं के तहत अनुदान, सब्सिडी और कम ब्याज पर ऋण मिलता है।

🔷 कौन जुड़ सकता है SHG से? (पात्रता)

  • महिलाएं ग्रामीण या शहरी गरीब परिवार से होनी चाहिए।
  • 18 वर्ष से ऊपर की आयु अनिवार्य।
  • समूह में सामान्यतः 10 से 20 महिलाएं होती हैं।
  • सभी सदस्यों का एक जैसा उद्देश्य होना चाहिए।

🔷 कैसे बने SHG समूह?

  1. स्थानीय स्तर पर महिलाएं इकट्ठा होकर समूह बनाती हैं।
  2. समूह का नाम रखा जाता है और संविधान तय किया जाता है।
  3. सप्ताहिक या मासिक बैठकें होती हैं।
  4. हर सदस्य एक निश्चित राशि समूह में जमा करता है।
  5. समूह के लेन-देन का रजिस्टर रखा जाता है।
  6. समूह का खाता किसी बैंक में खोला जाता है।
  7. कुछ समय बाद समूह को बैंक से ऋण की सुविधा दी जाती है।

🔷 सरकार द्वारा दी जा रही सहायता

  1. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM): इसके तहत SHG को ऋण, प्रशिक्षण, मार्केटिंग सपोर्ट और अन्य लाभ दिए जाते हैं।
  2. स्टार्टअप इंडिया और मुद्रा योजना से लिंक: महिलाएं अपने स्वयं सहायता समूह के माध्यम से मुद्रा लोन ले सकती हैं।
  3. राज्य सरकारों की योजनाएं: जैसे महाराष्ट्र की ‘उद्योजिका योजना’, मध्यप्रदेश की ‘लीडरशिप डेवलपमेंट’ योजना आदि।

🔷 SHG के लाभ

लाभविवरण
💰 आर्थिक सशक्तिकरणमहिलाओं को स्वरोजगार का साधन
🧠 निर्णय लेने की क्षमतामहिलाएं अब आर्थिक फैसलों में भागीदारी करती हैं
👩‍👧‍👧 सामाजिक सशक्तिकरणसमाज में महिलाओं का सम्मान बढ़ा
🧵 उद्यमिता विकासमहिलाएं छोटे व्यापार शुरू करने लगी हैं
📚 जागरूकतामहिलाओं में शिक्षा, स्वास्थ्य, अधिकारों की जानकारी बढ़ी

🔷 उदाहरण (केस स्टडी)

बिहार के गया जिले की ‘शक्ति महिला समूह’ पहले सिर्फ ₹100 महीने जमा करता था। धीरे-धीरे समूह ने बैंक से ₹2 लाख का कर्ज लिया और अगरबत्ती निर्माण यूनिट शुरू की। अब वह समूह हर महीने ₹30,000 से अधिक कमा रहा है और 20 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार भी दे रहा है।

🔷 महिलाओं के लिए लाभदायक व्यवसाय विकल्प

  • मसाला पैकिंग
  • सिलाई केंद्र
  • रेडीमेड गारमेंट
  • डेयरी उत्पादन
  • ब्यूटी पार्लर
  • मेंहदी व मेकअप सेवा
  • बकरी पालन, कुक्कुट पालन
  • दोपहर का टिफिन सर्व्हिस
  • अगरबत्ती और पापड़ बनाना

🔷 भविष्य की संभावनाएं

SHG की सफलता को देखकर केंद्र और राज्य सरकारें अब डिजिटल साक्षरता, ई-कॉमर्स, ई-पेमेंट, डिजिटल मार्केटिंग जैसे विषयों पर भी महिला SHG को प्रशिक्षण देने का प्रयास कर रही हैं। अब महिलाएं न केवल स्थानीय बाजार में, बल्कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे Amazon Saheli, Flipkart Samarth के माध्यम से अपने उत्पाद बेच रही हैं।

🔶 निष्कर्ष

स्वनियोजित महिला योजना एक क्रांतिकारी पहल है जो भारतीय समाज के उस आधे हिस्से को आगे लाने का प्रयास कर रही है जिसे लंबे समय तक नजरअंदाज किया गया। इस योजना के माध्यम से लाखों महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर बनी हैं बल्कि अपने परिवार और समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनी हैं।

अगर इस पहल को सही दिशा और पर्याप्त संसाधन दिए जाएं, तो यह महिला सशक्तिकरण की सबसे सशक्त नींव बन सकती है।

अगर आप SHG बनाना चाहती हैं या इससे जुड़ना चाहती हैं तो अपने ग्राम पंचायत, महिला व बाल विकास कार्यालय या जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (DRDA) से संपर्क करें।

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